Like the ever changing nature of the world, cricket has also evolved considerably. It is one of the most celebrated sports across the globe. Cricket has its own history and vastness. Cricket is an English invention although it has discovered its own world. Over the years, Cricket has recorded an enormous expansion across the globe. Representation from every part of the world can be witnessed. The ever growing popularity of Cricket is evident as it brought a mushrooming fan-base in Americas in recent times. Since International Cricket Council (ICC) has recently enlisted nations like Brazil and Chile as their associate members, also the recognition of the United States as an associate member with ODIs & T20Is status is not negligible at all. While cricket has continuously been growing, one thing which remains intact is the extreme upsurge it offers to the minds of cricket enthusiasts. This fancy obsession of cricket intensifies when it comes to the Cricket in the Indian subcontinent.
गावों की चारित्रिक विशेषताओं में से एक इसकी स्वागत करने की प्रवृत्ति है। शहर की भांति यहां पूंजीगत चकाचौंध और हर दिन एक नए उम्मीद को साधने का संघर्ष नहीं। शहर की तुलना में गांव अत्यधिक शांत और मनोरम लगता है। गांव का परिवेश आपको संवारता है और शहर में लोग परिवेश को हर रोज़ नई शक्ल दे रहे हैं। कभी फ्लाईओवर निर्माण, कभी मेट्रो निर्माण, कभी शॉपिंग माल आदि। शहर रुकता नहीं, यह गतिशील है। संघर्षरत है। जबकि गावों में यह गुण गौण हैं। ग्रामीण जीवन तमाम खुलेपन के बावजूद कई बंदिशों से बंधा रहता है। शहर में तंग गलियां, छोटे घर एवं सड़कों का ट्रैफिक भी आपको इतना नहीं बांधता जितना गावों का पिछड़ापन बांधता है। धार्मिक संलङता अवश्य ही ग्रामीण जीवन की एक सच्चाई है परन्तु यह कतई पिछड़ेपन को तो इंगित नहीं करती। मगर धार्मिक आधार पर रचे हुए आडंबर एवं कुरीतियां ज़रूर ग्रामीण समाज के पिछड़ेपन को परिलक्षित करते हैं। गावों के वातावरण एवं प्राकृत सौंदर्य की भांति यह कुरीतियां कतई मनभावन नहीं लगती। हालांकि अब कई घृणास्पद कुरीतियों का अंत हो चुका है, जातिगत विषमताएं भी पिछली सदी जितनी प्रखर नहीं दिखाई पड़ती। जो दुर